परिचय:
अगर आप ITI में इलेक्ट्रिशियन कोर्स कर रहे हैं या तकनीकी क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो वायरिंग सिस्टम की जानकारी आपके लिए अनिवार्य है। वायरिंग का सही चुनाव और इंस्टॉलेशन न केवल सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि उपकरणों की कार्यक्षमता और स्थायित्व भी बढ़ाता है। इस लेख में हम जानेंगे वायरिंग के प्रकार, उनकी विशेषताएं और किस स्थिति में कौन-सी वायरिंग का प्रयोग किया जाना चाहिए।
1. ओपन वायरिंग (Open Wiring)
विवरण:
यह सबसे पुरानी और आसान वायरिंग पद्धति है जिसमें वायर दीवार के ऊपर खुली लगाई जाती है।
उपयोग:
अस्थायी ढाँचों में, ग्रामीण क्षेत्रों में।
फायदे:
• सस्ती और आसान इंस्टॉलेशन
• फॉल्ट आसानी से पकड़ में आता है
नुकसान:
• सुरक्षित नहीं होती
• वातावरण से जल्दी प्रभावित होती है
2. बैटेन वायरिंग (Batten Wiring)
विवरण:
इसमें वायरों को लकड़ी या प्लास्टिक के बैटेन (पट्टी) पर क्लिप्स की सहायता से लगाया जाता है।
उपयोग:
छोटे घरों, दुकानों में।
फायदे:
• स्थापित करना आसान
• सस्ता विकल्प
नुकसान:
• धूल और नमी से प्रभावित
• फिजिकल डैमेज का खतरा
3. कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring )
विवरण:
इसमें वायर पाइप के अंदर लगाए जाते हैं — प्लास्टिक या मेटल कंड्यूट में।
प्रकार:
सर्फेस कंड्यूट वायरिंग
कंडील वायरिंग (दीवार के अंदर)
उपयोग:
घर, ऑफिस, इंडस्ट्रियल सेटअप
फायदे:
• सुरक्षित और टिकाऊ
• सुंदर और छिपी हुई वायरिंग
नुकसान:
• महंगी
• इंस्टॉलेशन में समय लगता है
4. ट्रे वायरिंग (Cable Tray Wiring)
विवरण:
इसमें बड़ी संख्या में वायर को ट्रे में रखा जाता है, जो अक्सर छत या दीवारों पर होती है।
उपयोग:
बड़े इंडस्ट्रियल सेटअप, डाटा सेंटर
फायदे:
• व्यवस्थित
• बड़े केबल हैंडल करने में सक्षम
नुकसान:
• खर्चीली
• केवल प्रोफेशनल इंस्टॉलेशन की जरूरत
5. मोल्डिंग वायरिंग (Moulding Wiring)
विवरण:
इसमें वायर लकड़ी या प्लास्टिक के मोल्डिंग चैनल में चलते हैं।
उपयोग:
पुराने ऑफिस और स्कूल बिल्डिंग्स
फायदे:
• सस्ती और सुलभ
• सीमित स्थान के लिए उपयोगी
नुकसान:
• आधुनिक तरीकों से कमजोर
• आग का खतरा
वायरिंग चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें:
1 स्थान: घर, ऑफिस, इंडस्ट्री या अस्थायी ढांचा
2 लोड: कौन से उपकरण चलने हैं?
3 सुरक्षा: बच्चों और आग से बचाव के उपाय
4 बजट: सस्ती vs टिकाऊ वायरिंग
5 स्थायित्व: कितने वर्षों तक चलनी चाहिए?
ITI छात्रों के लिए सुझाव:
• वायरिंग इंस्टॉलेशन का लाइव प्रैक्टिकल जरूर करें
• वायरिंग डाइग्राम और सर्किट समझें
• वायरिंग से जुड़े ISI नियमों को पढ़ें
• Multimeter और Tester का नियमित अभ्यास करें
निष्कर्ष:
वायरिंग का सही चुनाव और उसकी सटीक इंस्टॉलेशन किसी भी इलेक्ट्रिकल सिस्टम की नींव है। ITI इलेक्ट्रिशियन छात्र के रूप में आपको केवल थ्योरी ही नहीं, प्रैक्टिकल ज्ञान भी उतना ही आवश्यक है। यदि आपने वायरिंग की सही तकनीक सीख ली, तो आप हर फील्ड में आगे बढ़ सकते हैं।